वीर बर्बरीक एक ऐसा योद्धा जो महाभारत के युद्ध को एक बाण से ही समाप्त कर सकता था।
वीर बर्बरीक एक ऐसा योद्धा जो महाभारत के युद्ध को एक बार से ही समाप्त कर सकता था।
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भगवान श्री कृष्ण ने क्यों किया बर्बरीक का वध
बर्बरीक हमेशा अपनी मां से यहां बात पूछता रहता था की मां मोक्ष प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय क्या है ?
तो बर्बरीक की माता ने कहा कि बेटा भगवान श्री कृष्ण के हाथ से मृत्यु पाकर कोई भी इंसान मोक्ष प्राप्त कर लेगा, यहां सुनकर बर्बरीक अपनी माता से कहता है की मां भगवान श्री कृष्ण से जब मैं युद्ध नहीं कर सकता तुम मेरी म्रत्यू उनके हाथों से कैसे होगी।
बर्बरीक की माता ने कहा कि बेटा तुम सिद्धि माता की तपस्या करके भगवान श्री कृष्ण से युद्ध करके मोक्ष प्राप्त करने का वरदान ले सकते हो क्योंकि बर्बरीक के पास भगवान श्री कृष्ण से युद्ध करने के लिए पर्याप्त अस्त्र-शस्त्र नहीं थे क्योंकि भगवान श्री कृष्ण के पास सुदर्शन चक्र था जिसका उत्तर किसी भी अस्त्र-शस्त्र के पास नहीं था।
अपनी माता की बात सुनकर बर्बरीक ने सिद्ध माता की घोर तपस्या की और सिद्धि माता ने उसे अपराजित अस्त्र प्रदान किए जिन अस्त्रों को लेकर वहां महाभारत के युद्ध में सम्मिलित होना चाहता था।
बात उस समय की है जब कौरव और पांडवों की सेना युद्ध क्षेत्र में एक दूसरे के आमने सामने थी। जब बर्बरीक को यहां पता चला की महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला है, वहां इस युद्ध में भाग लेने के लिए आ रहा था।
तभी भगवान श्री कृष्ण एक ब्राह्मण का रूप धरकर बर्बरीक के सामने आए और उससे पूछा कि तुम कहां जा रहे हो, तो बर्बरीक ने कहा मैं महाभारत के युद्ध में भाग लेने के लिए जा रहा हूं।
भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि तुम किस ओर से युद्ध लड़ोगे, तो बर्बरीक ने कहा जो पक्ष निर्बल होगा मैं उस पक्ष की तरफ से युद्ध करूंगा।
जब भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से निर्मल पक्ष की ओर से युद्ध करने का कारण पूछा तो उसने कहा कि मेरी दादी हिडिंबिका ने मुझसे बचपन में कहा था कि हमेशा निर्बल पक्ष का ही साथ देना, और मैंने प्रतिज्ञा की है कि मैं हमेशा निर्बल की ही सहायता करूंगा।
यहां बात सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि भले ही वहां मनुष्य जो निर्बल है अधर्मी है फिर भी तुम उसी का साथ दोगे,बर्बरीक कहता है मैंने हमेशा निर्बल पक्ष का ही साथ देने की प्रतिज्ञा ली है फिर भले ही वहां अधर्म के रास्ते पर हो या धर्म के रास्ते पर,
यहां सब सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को कहा कि यहां सही बात नहीं है कि जो आदमी अधर्म के रास्ते पर हो और वहां निर्बल हो तो तुम उसका साथ दोगे, इस प्रकार तो अधर्म धर्म पर विजय प्राप्त कर लेगा।
भगवान श्री कृष्ण की बात सुनकर बर्बरीक ने कहा भले कुछ भी हो पर मैंने प्रतिज्ञा निर्बल की सहायता करने की ही ली है, भगवान श्री कृष्ण के बार-बार समझाने पर भी जब बर्बरीक अपनी बात पर अडिग रहा तो भगवान श्री कृष्ण को बर्बरीक का वध करने के लिए विवश होना पड़ा।
भगवान श्री कृष्ण ने ली बर्बरीक की परीक्षा
जब भगवान श्री कृष्णा बर्बरीक के पास ब्राह्मण वेश में आए तो उन्होंने हमसे पूछा कि तुम युद्ध करने जा रहे हो पर तुम्हारे पास तो ना ही सेना है और ना ही अस्त्र-शस्त्र तुम्हारे तुनीर मैं तो बस तीन ही बाण है,
और भला तुम इन तीन बाणों से कैसे युद्ध को एक ही पल में समाप्त कर सकते हो, भगवान श्री कृष्ण की बात सुनकर बर्बरीक ने श्री कृष्ण से कहा कि मैं तुम्हें इस बात का प्रमाण दे सकता हूं कि मैं युद्ध को एक ही बाण से समाप्त कर सकता हूं।
बर्बरीक भगवान श्री कृष्ण को बरगद के पेड़ के नीचे लेकर गया और भगवान श्री कृष्ण से पूछा किस पेड़ में कितने पत्ते पत्तियां है भगवान श्री कृष्ण ने कहा इस पेड़ में अनगिनत पत्तियां है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार युद्ध में उपस्थित सेना,रथी,महारथी है।
बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि मैं अपने एक ही बाण से इस वृक्ष की सभी पत्तियों को निशाना बना लूंगा, यहां बात सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने एक पेड़ की पत्ती को अपने हाथ में और दूसरी को अपने पैर के नीचे दबा लिया, लेकिन जब बर्बरीक ने अपने धनुष से बाण छोड़ा तो उसके प्रभाव से उस पेड़ की सभी पत्तियों में छेद हो गए और साथ ही भगवान श्री कृष्ण ने अपने हाथ और पैर के नीचे जो पेड़ की पत्ती छुपा कर रखी थी उसमें भी छेद हो गया।
बर्बरीक कौन था ?
बर्बरीक महाबली भीम और भीम की पत्नी हिडंबिका के पुत्र घटोत्कच का पुत्र था जो बहुत ही बलवान हो और ताकतवर था।
भगवान श्री कृष्ण के वरदान के कारण बना बर्बरीक खाटू श्याम
जब भगवान श्री कृष्ण को बर्बरीक का वध करना पड़ा तो बर्बरीक ने कहा कि हे प्रभु मेरी इच्छा है कि मैं इस धर्म और अधर्म के युद्ध को अपनी आंखों से देखो, तो भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को वरदान देकर कहा की तब तक युद्ध चलेगा तब तक तुम्हारे इस सिर में प्राण रहेंगे।
और तुम इस पूरे युद्ध को अपनी आंखों से देखोगे जब महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ तो भगवान श्री कृष्ण के साथ पांचो पांडव और द्रौपदी बर्बरीक से मिलने पहुंचे तो पांडवों ने बर्बरीक से पूछा कि तुमने इस युद्ध को पूरा अपनी आंखों से देखा है तो तुम यहां बताओ कि इस सबसे ज्यादा नरसंहार किसने किया।
यह बात सुनकर बराबर एक हंसने लगा तो पांडवों ने बर्बरीक से उसकी हंसी का कारण पूछा तो बर्बरीक ने कहा आप सभी को यहां लगता है कौरव सेना के सभी महारथियों को तुम ने मारा पर मैंने तो कुछ और ही देखा मैंने देखा कि जो मार रहा है वहां भी भगवान श्रीकृष्ण है और जो मर रहा है वहां भी भगवान श्री कृष्ण ही है तो इस युद्ध में सबसे ज्यादा नरसंहार तब भगवान श्रीकृष्ण ने ही किया।
इतना कहकर बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण से मुक्ति पाने की याचना की तो भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि तुमने मोक्ष प्राप्ति के लिए जो तपस्या की थी उस तपस्या के फलस्वरूप मैं तुम्हें अपने अंश के रूप में अमर करता हूं।
आज से यहां संसार तुम्हें खाटू श्याम के नाम से जानेगा क्योंकी तुम हारनें वाले के साथ हो ओर वीर बर्बरीक का शीश खाटू नगर में दफनाया गया है इसी कारण बर्बरीक का नाम खाटू श्याम पडाा।