मध्य प्रदेश के प्रमुख 7 ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के स्थल
खजुराहो मध्य प्रदेश • खजुराहो नगर चंदेल शासकों का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र था, जिसके आधारशिला विख्यात राजा चंद वर्मा ने रखी। • खजुराहो छतरपुर जिले में स्थित मध्य प्रदेश का मुख्य पर्यटन स्थल है। • खजुराहो में स्थित मंदिरों का निर्माण काल ईस्वी 950 से लेकर 1000 50 के बीच माना जाता है। • खजुराहो में पहले 85 मंदिर थे जिनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। • खजुराहो में स्थित मंदिरों को भौगोलिक दृष्टि से तीन भागों में बांटा गया है- पश्चिमी समूह मैं लक्ष्मण मंदिर, कंदरिया महादेव, चौंसठ-योगिनी, चित्रगुप्त मंदिर, विश्वनाथ और मात के स्वर मंदिर है। पूर्वी समूह मैं पाश्र्व नाथ मंदिर, घेटाई मंदिर और आदिनाथ मंदिर हैं। दक्षिणी समूह मैं दुलादेव मंदिर और चतुर्भुज मंदिर स्थित है।
सांची मध्य प्रदेश • बौद्ध धर्म के प्रमुख स्थलों में से सांची एक है जिनका निर्माण सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने के पश्चात कराया था। • सन 1989 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। • यहां रायसेन जिले में है तथा विश्वविख्यात बौद्ध स्तूप यहीं पर है। • भौतिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध सांची स्थित पहाड़ी को प्राचीन काल में वैदिसगिरी, चैत्य गिरी, कडकनाथ आदि नामों से जाना जाता था।
उदयगिरि की गुफाएं मध्य प्रदेश • उदयगिरि एक छोटा सा गांव है उदयगिरि की गुफाएं सांची से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर विदिशा मार्ग पर है। • इनको भाव की संख्या 20 है,तथा यहां गुफाएं चौथी शताब्दी ईस्वी से दसवीं शताब्दी ईस्वी में निर्मित की गई थी। • गुफा नंबर 1 तीन दशाओं में शैलकृत और एक दिशा में प्रस्तर खंडों से बनी है। • गुफा नंबर पांच में भगवान विष्णु के वराह अवतार का चित्रण है। • गुफा नंबर 19 को अमृत गुफा भी कहा जाता है।
मांडू मध्य प्रदेश • मांडू धार जिले में स्थित है। • मांडू की स्थापना बाज बहादुर ने की थी। • मांडू पूर्णता संगमरमर से निर्मित भारत की पहली इमारत है। • मांडू को आनंद की नगरी (सिटी ऑफ जॉय) के नाम से भी जाना जाता है। • मांडू का होशंग शाह का मकबरा है, जिसकी स्थापना मोहम्मद खिलजी द्वारा की गई थी। • मांडू के दर्शनीय स्थल-रानी रूपमती का महल, जहाज महल, अशर्फी महल, हिंडोला महल, होशंग शाह का मकबरा , हुसैन शाह का मकबरा, जामा मस्जिद, नीलकंठ महल आदि स्थित है। • मांडू मूल रूप से मालवा के प्रमाण राजाओं की राजधानी था।
ग्वालियर मध्य प्रदेश • ग्वालियर सिंधिया वंश की राजधानी था। • ग्वालियर दुर्ग का निर्माण राजा शूरसेन ने 525 ईसवी में कराया था। • ग्वालियर को पूर्व का जिब्राल्टर तथा किलो का रत्न भी कहते हैं। • ग्वालियर में 5 दरवाजे हैं • हिंडोला दरवाजा • आलमगीर का दरवाजा • गुजरी महल दरवाजा • हाथी फोड़ दरवाजा • चतुर्भुज महल दरवाज़ा • ग्वालियर में पर्यटन की दृष्टि से अनेक स्थान व इमारतें हैं जैसे- बादल महल, गुजरी महल, सास बहू का मंदिर, तेली का मंदिर, मान मंदिर, चतुर्भुज मंदिर आदि। • ग्वालियर में स्थित तेली का मंदिर ग्वालियर का सबसे ऊंचा मंदिर है। जो द्रविड़ शैली में बनाया गया मंदिर है।
ओरछा • ओरछा बेतवा नदी के तट पर स्थित है। • ओरछा की स्थापना 16वीं शताब्दी में बुंदेला शासक रूद्र प्रताप ने की थी। • ओरछा के प्रमुख दर्शनीय स्थल-चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, राम राजा महल और राय प्रवीण महल आधी है। • ओरछा शहर पहाड़ों की गोद में स्थित शहर है। • और क्या एक समय बुंदेलखंड की राजधानी हुआ करता था। • झांसी से 16 किलोमीटर की दूरी पर ओरछा मध्य प्रदेश में स्थित है।
भीम बैठिका • मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर भीम बेठिका स्थित है। • भीम बैठिका को वर्ष 2003 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। • भीम बैठिका स्थल शैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। • भीम बैठिका मैं आखेट, युद्ध पक्षी धार्मिक तथा व्यक्ति चित्रों का अंकन है। • भीम बैठिका मैं स्थित शैल चित्रों का श्रेय प्रसिद्ध पुरातत्व शास्त्री स्वर्गी डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर को जाता है। • स्वर्गी डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर ने इस स्थल की खोज वर्ष 1957-58 मैं की थी।
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